नई दिल्ली : भारत की शिक्षा संवर्द्धन सोसाइटी (ईपीएसआई) द्वारा प्रकाशित क्यूएस विश्वविश्वविद्यालय रैंकिंग – 2018 के अंतर्गत देश के तीन संस्थानों- आईआईटी दिल्ली, आईआईएससी बंगलूरु तथा आईआईटी बांबे को ‘शीर्ष 200’ में स्थान दिया गया है।
इनमें से आईआईटी दिल्ली एवं आईआईएससी बंगलूरु पहले से ही शीर्ष 200 में स्थान प्राप्त कर चुके हैं जबकि आईआईटी बांबे इस प्रतिष्ठित में प्रवेश करने वाला नवीनतम संस्थान है। आईआईएससी बंगलूरु को अब साइटेशन पर फैकल्टी के लिए वैश्विक रूप से छठा स्थान दिया जा रहा है।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 9 जून को राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में भारत की शिक्षा संवर्द्धन सोसाइटी (ईपीएसआई) द्वारा प्रकाशित क्यूएस विश्व विश्वविद्यालय रैंकिंग का 2018 संस्करण प्राप्त किया। इस अवसर पर, राष्ट्रपति ने ईपीएसआई से शिक्षा क्षेत्र में किए जा रहे अपने प्रयासों को जारी रखने का आग्रह किया।
राष्ट्रपति ने कहा कि जहां बुनियादी ढांचे के लिहाज से उच्चतर शिक्षा क्षेत्र में उल्लेखनीय विस्तार हुआ है वहीं कई संस्थानों में शिक्षा की गुणवत्ता अभी भी चिंता की बात बनी हुई है। उन्होंने कहा कि प्राचीन समय में, हमारे पास शिक्षा के नालंदा, तक्षशिला, विक्रमशिला, वलाभी, सोमपुरा एवं ओदांतपुरी जैसे विख्यात स्थान थे जिनका ईसा पूर्व छठी शताब्दी से लेकर 1800 वर्षों तक विश्व उच्चतर शिक्षा प्रणाली पर दबदबा था। दुनियाभर के विद्वान ज्ञान की खोज में शिक्षा के इन केंद्रों तक खिंचे चले आते थे। आज की स्थिति इसके बिल्कुल उलट है। भारत के कई प्रतिभाशाली छात्र विदेशों के विश्वविद्यालयों से उच्चतर शिक्षा ग्रहण करते हैं। शिक्षा के हमारे उच्चतर संस्थान विश्व स्तरीय विद्वान पैदा करने में सक्षम हैं लेकिन विदेशी विश्वविद्यालय इसमें बाजी मार ले जाते हैं।
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