शिक्षा किसी भी देश और समुदाय के विकास के लिए सबसे जरूरी तत्व है। शिक्षा से ही सामाजिक और आर्थिक विकास संभव है। आदिवासियों को मुख्यधारा से जोड़ना और उन्हें शिक्षित करना नीति निर्माताओं के लिए हमेशा से बड़ी चुनौती रही है। 2011 की जनगणना के अनुसार देश में 10.02 करोड़ से अधिक आबादी यानी देश की जनसंख्या का 8.6 फीसदी अनुसूचित जनजाति है। लेकिन, साक्षरता की दृष्टि से यह तबका देश की प्रगति के साथ कदमताल नहीं मिला पा रहा है। आजादी के 70 साल बाद भी देश में शिक्षा के स्तर में सुधार के लिए उठाए गए कारगर कदमों के बावजूद सामान्य आबादी की तुलना में सामाजिक रूप से वंचित जनजातीय समुदायों के बीच शिक्षा के स्तर में बहुत अधिक अंतर बना हुआ है।
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