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उच्च गुणवत्ता वाले शोध प्रकाशनों तक अब मिलेगी सीधी पहुंच

हमेशा से ही प्राचीन ज्ञान और समृद्ध परंपरा की भूमि भारत नवाचार और खोज का केंद्र रहा है। गणित और खगोल विज्ञान में अग्रणी प्रगति से लेकर विज्ञान के विभिन्न क्षेत्रों में अभूतपूर्व योगदान तक, देश की बौद्धिक उपलब्धियों की विरासत अद्वितीय है। इसे ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में ‘वन नेशन, वन सब्सक्रिप्शन’ योजना को मंजूरी दी है।

इस पहल का उद्देश्य देश के सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों और केंद्र सरकार के अनुसंधान एवं विकास केंद्रों के सभी छात्रों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को अंतरराष्ट्रीय विद्वानों की पत्रिकाओं और लेखों तक पहुंच प्रदान करके ज्ञान की बाधाओं को तोड़ना है। इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत के शैक्षणिक और अनुसंधान समुदाय सर्वोत्तम वैश्विक संसाधनों से लैस हों, नवाचार को बढ़ावा दें और विभिन्न विषयों में अनुसंधान की गुणवत्ता को बढ़ाएं।

Read in English: Now get direct access to high-quality research publications

‘वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ योजना वर्ष 2047 तक आत्मनिर्भर और विकसित राष्ट्र बनने की भारत की महत्वाकांक्षा की आधारशिला है। यह रोडमैप अत्याधुनिक अनुसंधान, तकनीकी उन्नति और आत्मनिर्भर प्रगति द्वारा संचालित एक अग्रणी वैश्विक शक्ति के रूप में भारत के उभरने की कल्पना करता है। ऐसी पहलों के माध्यम से, भारत ज्ञान की अपनी समृद्ध विरासत का निर्माण करने की तैयारी कर रहा है, जिससे वह वैश्विक नवाचार और खोज में सबसे आगे खड़ा हो सके।

इस योजना का उद्देश्य सभी पात्र छात्रों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों को शीर्ष-स्तरीय अंतरराष्ट्रीय शोध लेखों और पत्रिकाओं तक पहुंच प्रदान करना है। यह देशभर में 6,300 से अधिक सरकारी-प्रबंधित उच्च शिक्षा संस्थानों और केंद्र सरकार द्वारा प्रबंधित अनुसंधान और विकास संस्थानों को कवर करता है।

इस योजना के प्रावधानों में 30 प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशकों की 13 हजार से अधिक विद्वत्तापूर्ण पत्रिकाओं तक पहुंच बनाना; विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित, चिकित्सा, सामाजिक विज्ञान, वित्त और लेखा आदि जैसे विषयों के लगभग 1.8 करोड़ छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को लाभ पहुंचाना तथा टियर-2 और टियर-3 शहरों के संस्थानों के लिए अनुसंधान तक समावेशी पहुंच बढ़ाना है।

यह योजना विभिन्न क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले विद्वानों की पत्रिकाओं और प्रकाशनों तक पहुंच प्रदान करती है। इसका उद्देश्य छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं की शोध क्षमताओं को बढ़ाने के लिए ज्ञान तक पहुंच को सुगम बनाना है।

यह योजना सुनिश्चित करती है कि संस्थानों को, चाहे वे किसी भी भौगोलिक स्थिति में हों, विश्वस्तरीय अनुसंधान संसाधनों तक पहुंच प्राप्त हो। यह देश में मुख्य और अंतःविषय अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।

यह विकसित भारत@2047 के लक्ष्यों के अनुरूप है, जिससे भारत को अपने शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों को अंतर्राष्ट्रीय विद्वान समुदायों के साथ जुड़ने में सक्षम बनाकर अनुसंधान और विकास में वैश्विक गुरू के रूप में उभरने में मदद मिलेगी।

इस योजना के तहत, पूरी सदस्यता प्रक्रिया इनफ्लिबनेट द्वारा केंद्रीय रूप से समन्वित की जाएगी, जो विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के तहत एक स्वायत्त अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र है। इनफ्लिबनेट इन पत्रिकाओं तक डिजिटल पहुंच के वितरण का प्रबंधन करेगा, जिससे उपयोगकर्ताओं के लिए एक सहज अनुभव सुनिश्चित होगा।

पत्रिकाओं को पूरी तरह से डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक्सेस किया जाएगा। इससे सभी उपयोगकर्ताओं के लिए सुविधा और आसानी सुनिश्चित होगी। यह दृष्टिकोण प्रशासनिक परेशानियों को कम कर मांग पर सभी के लिए पहुंच उपलब्ध कराता है।

इस पहल के लिए साल 2025 से 2007 तक के लिए कुल ₹6,000 करोड़ आवंटित किए गए हैं। यह फंडिंग इस अवधि में सभी भाग लेने वाले संस्थानों के सदस्यता शुल्क को कवर करेगी। इसके अलावा, लाभार्थी लेखकों को चयनित अच्छी गुणवत्ता वाले ओपन एक्सेस पत्रिकाओं में प्रकाशन के लिए प्रति वर्ष 150 करोड़ रुपये की केंद्रीय वित्त पोषण सहायता भी प्रदान करेगा।

1 जनवरी से शुरू हुए पहले चरण में 6,300 से ज़्यादा सरकारी शैक्षणिक और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों के लिए 13 हजार से ज़्यादा पत्रिकाओं तक पहुंच उपलब्ध कराई जाएगी। इसमें केंद्रीय और राज्य सरकार के विश्वविद्यालय और कॉलेज शामिल हैं। इसका अर्थ है कि लगभग 1.8 करोड़ छात्रों, शिक्षकों और शोधकर्ताओं को उच्च गुणवत्ता वाले शोध प्रकाशनों तक पहुंच मिलेगी।

पहले चरण के अंतर्गत 30 प्रकाशकों की पत्रिकाओं के लिए सदस्यता शुल्क इनफ्लिबनेट द्वारा केंद्रीय रूप से भुगतान किया जाएगा। इसमें केंद्रीय मंत्रालयों के अंतर्गत पुस्तकालय संघ, उच्च शिक्षा संस्थानों और अनुसंधान एवं विकास संस्थानों से भुगतान शामिल होगा। इस चरण में शामिल नहीं किए गए संसाधनों के लिए स्वतंत्र सदस्यता जारी रहेगी।

इस चरण में कार्यक्रम की रूपरेखा स्थापित की जाएगी तथा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि प्रमुख अनुसंधान संसाधन पूरे देश में बड़ी संख्या में संस्थानों को उपलब्ध कराए जाएं। सात ही, इन भागीदार संस्थानों के शोधकर्ताओं के चयनित उच्च गुणवत्ता वाले शोध प्रकाशनों के लिए प्रकाशकों को आर्टिकल प्रोसेसिंग चार्ज का भुगतान करने की भी परिकल्पना की गई है।

पहले चरण के अनुभव का उपयोग आगामी चरणों के डिजाइन के लिए किया जाएगा। यह योजना मौजूदा अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की पूरक होगी। इसे पूरे भारत में अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

योजना की एक महत्वपूर्ण विशेषता आर्टिकल प्रोसेसिंग चार्ज पर छूट है। पत्रिकाएं आमतौर पर शोध लेख प्रकाशित करने के लिए ये शुल्क लगाती हैं। प्रकाशकों के साथ कम आर्टिकल प्रोसेसिंग चार्ज पर बातचीत करके, यह योजना भारतीय शोधकर्ताओं को भारी वित्तीय लागत उठाए बिना उच्च गुणवत्ता वाली पत्रिकाओं में अपना लेख प्रकाशित करने में मदद करेगी।

कुल मिलाकर, ‘वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन’ पहल भारत के शोध इकोसिस्टम के लिए एक गेम-चेंजिंग योजना है। 10 केंद्रीय सरकारी मंत्रालयों और विभागों की मौजूदा कंसोर्टिया पहलों के साथ-साथ कई सरकारी उच्च शिक्षा संस्थानों की पहलों का लाभ उठाकर, इसके माध्यम से एक एकीकृत दृष्टिकोण ज्ञान के प्रसार को लोकतांत्रिक और शोधकर्ताओं और छात्रों की एक नई पीढ़ी को सशक्त बनाएगा।


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