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हिंदू मंदिरों को अब मिलेंगे प्रशिक्षित संचालक

आजकल हिंदू मंदिर और तिरुपति का लड्डू प्रसाद चर्चा में हैं। कुशल प्रबंधन के अभाव में तीर्थ यात्रियों और नियमित भक्तों को तमाम तरह की परेशानियों और बाधाओं से जूझना पड़ता है। कई हादसे भी होते रहते हैं। ऐसे में मंदिर जाने के अनुभवों को यादगार क्षण कैसे बनाया जाए, कैसे व्यवस्थाएं दुरुस्त हों, कैसे आर्थिक पारदर्शिता आए और कैसे साधनों का बेहतर उपयोग हो, इन विषयों को लेकर एक नया पाठ्यक्रम शुरू किया गया है।

ध्यान रहे, पिछले साल आईटीसीएक्स के संस्थापक गिरीश कुलकर्णी ने टेंपल कनेक्ट अभियान शुरू किया था। इसका अपेक्षित प्रतिफल मिलने पर अब यह नया पाठ्यक्रम शुरू किया है। मंदिर प्रबंधन में अपनी तरह का यह पहला स्नातकोत्तर डिप्लोमा पाठ्यक्रम है। पाठ्यक्रम का उद्देश्य प्रौद्योगिकी, स्थिरता और समावेशिता के साथ मंदिर संचालन को पेशेवर बनाना है।

मंदिर प्रबंधन में छह महीने का यह स्नातकोत्तर डिप्लोमा कार्यक्रम प्रभावी मंदिर तंत्र प्रबंधन के लिए उन्नत कौशल विकसित करने में मदद करेगा। इस पाठ्यक्रम का पहला बैच मुंबई विश्वविद्यालय और वेलिंगकर संस्थान में शुरू हो चुका है। आने वाले समय में सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय में भी इसे उपलब्ध कराया जाएगा। पाठ्यक्रम के तहत तीन महीने का गहन कक्षा प्रशिक्षण, जिसमें 20 से अधिक सत्र शामिल हैं, इसके बाद विभिन्न प्रसिद्ध मंदिरों में तीन महीने की इंटर्नशिप है।

संकाय में अनुभवी पेशेवर शामिल हैं। इनमें से सभी को मंदिर संचालन में पर्याप्त व्यावहारिक अनुभव है। वर्तमान प्रारूप में पाठ्यक्रम व्यक्तिगत रूप से और इंटर्नशिप के माध्यम से दिए जाते हैं। इसमें प्रत्येक विश्वविद्यालय या संस्थान में 30 छात्र बैच होते हैं। यह कार्यक्रम छात्रों को प्रशासनिक कर्तव्यों से लेकर सामुदायिक जुड़ाव और आध्यात्मिक प्रबंधन तक मंदिर प्रबंधन का व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करेगा।

प्रवेश के लिए मानदंड के अनुसार आवेदकों को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक होना चाहिए। उम्मीदवारों के पास या तो मंदिर प्रशासन में मजबूत पृष्ठभूमि होनी चाहिए, या विभिन्न मौजूदा मंदिरों से निकटता से जुड़ाव या इंटर्नशिप के माध्यम से व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करना चाहिए।

इस पाठ्यक्रम को प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक व मंदिर प्रबंधन पर लेखक डॉ. सुरेश हवारे के नेतृत्व में टेम्पल कनेक्ट के संस्थापक गिरीश कुलकर्णी, एमएलसी प्रसाद लाड, वेलिंगकर संस्थान के समूह निदेशक डॉ. उदय सालुंखे, मुंबई विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. पेंढारकर, मुंबई विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति प्रो. रवींद्र कुलकर्णी, पुणे विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. नितिन कर्मालकर तथा मुंबई, पुणे विश्वविद्यालयों व वेलिंगकर संस्थान के अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने तैयार किया है।

टेंपल कनेक्ट इस पाठ्यक्रम के प्रमुख क्यूरेटर के रूप में कार्य करता है। यह न केवल सामग्री को क्यूरेट करने में बल्कि इन मंदिर अर्थव्यवस्था विशेषज्ञों की सामूहिक दृष्टि को एक संरचित पाठ्यक्रम में बदलने में भी महत्वपूर्ण रहा है।

देशभर के कई मंदिर पाठ्यक्रम में भाग लेने वाले छात्रों के लिए छात्रवृत्ति प्रदान करके इस पहल का सक्रिय रूप से समर्थन कर रहे हैं। टेंपल कनेक्ट ने वित्तीय सहायता की आवश्यकता वाले छात्रों के लिए एक ओपन स्कॉलरशिप फंड भी स्थापित किया है।

संस्थापक गिरीश कुलकर्णी ने बताया कि यह डिप्लोमा कोर्स जागरूकता बढ़ाने और मंदिर प्रबंधन के क्षेत्र को आगे बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। टेंपल कनेक्ट का लक्ष्य है कि बैच के 50 फीसदी से अधिक छात्रों को इसके व्यापक नेटवर्क के माध्यम से इंटर्नशिप मिले। इससे आकर्षक रोजगार के अवसर सुनिश्चित होंगे।

भविष्य में तीन अलग-अलग पाठ्यक्रमों की योजना के तहत छह महीने का सर्टिफिकेट, एक साल का डिप्लोमा और मंदिर प्रबंधन में दो साल का एमबीए भी प्रस्तुत किया जाएगा।


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