भारत में शिक्षा इसकी उस प्राचीन दार्शनिक परंपरा में गहराई से अंतर्निहित है, जहां विद्या को महज ज्ञान के संचय के रूप में नहीं बल्कि समग्र आत्म-सशक्तीकरण के साधन के रूप में देखा जाता था। प्राचीन भारतीय ग्रंथों में कहा गया है कि ‘ज्ञान की संपदा वास्तव में सभी प्रकार की संपदाओं में सर्वोच्च है’...
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