भारतीय शिक्षा प्रणाली में जबर्दस्त मात्रात्मक वृद्धि के बावजूद, देश की वर्तमान शैक्षिक व्यवस्था आम जनता के लिए अपर्याप्त बनी हुई है। मौजूदा व्यवस्था देश के सामाजिक-सांस्कृतिक मूल्यों और मनोवृत्तिगत लक्षणों को आधुनिक बनाने के लिए उच्चस्तरीय स्नातकों का निर्माण करने में विफल रही है। विश्वविद्यालयों, मेडिकल कॉलेजों और उच्च शिक्षा के संस्थानों के प्रसार ने बेहतर शिक्षण और अनुसंधान में तब्दील नहीं किया है। इससे भारत का शिक्षा क्षेत्र लाचार और चिंताजनक स्थिति में है।
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