वाराणसी : स्थानीय शिवपुर स्थित ऋषिव वैदिक अनुसंधान, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केंद्र परिसर में बाल दिवस के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय बाल सांस्कृतिक महोत्सव ‘लिटिल लीजेंड्स लिट–आर्ट’ में बच्चों के अनेक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए। तीन दिवसीय महोत्सव 14, 15 और 16 नवम्बर को सुबह 10 बजे से रात्रि आठ बजे तक आयोजित हुआ।
उत्सव के पहले दिन अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिलब्ध चित्रकार पद्मिनी मेहता द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन के साथ उद्घाटन हुआ। इसके बाद, संध्या विमर्श में संस्कार, शिक्षा, सृजन, संस्कृति और संरक्षण विषय पर समादृत अतिथियों ने बच्चों, उनके शिक्षकगण एवं अभिभावकों के समक्ष प्रेरक उद्बोधन किए। मुख्य अतिथि भारतीय शिक्षा बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष एनपी सिंह ने अपने विशेष व्याख्यान में कहा कि बच्चों को अपनी सनातनी सांस्कृतिक जड़ों से परिचित कराना और वैदिक तथा नैतिक मूल्यों से जोड़ना अत्यन्त आवश्यक है। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ नीरजा माधव ने कहा कि माता पिता का आचरण और घर परिवार का वातावरण ही बच्चों में संस्कारों के बीज रोपित करता है।
विशिष्ट अतिथि पुलिस उपाधीक्षक विपिन कुमार राय ने बाल सुरक्षा के दृष्टिकोण से अभिभावकों को बच्चों की ऑनलाइन एवं ऑफलाइन गतिविधियों पर सतत निगरानी रखने की आवश्यकता समझाई। संयुक्त मजिस्ट्रेट बेंच, वाराणसी की बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष स्नेहा उपाध्याय ने कहा कि बच्चों को सही और गलत का स्पष्ट बोध कराना तथा कानूनी अधिकारों की जानकारी देना अत्यन्त अनिवार्य है।
उद्घाटन दिवस में पद्मिनी मेहता द्वारा संचालित आर्ट वर्कशॉप, ऋषिव का कलात्मक योगासन प्रदर्शन, इंटरएक्टिव गेम्स ज़ोन, मिथिलेश दुबे का कठपुतली संसार, श्रेयसी मिश्रा का कथक नृत्य और विदुषी वर्मा का उपशास्त्रीय गायन विशेष आकर्षण के केंद्र बने। बच्चों ने जॉय राइड्स, बाउंसी और ट्रैम्पोलिन का भरपूर आनंद लिया, जबकि बड़ों ने जेंगा, व्हील ऑफ़ फ़ॉर्च्यून और शूटिंग गेम जैसे मनोरंजक खेलों में सक्रिय सहभागिता की।
आयोजन के दूसरे दिन 15 नवम्बर को पांच वर्षीय युवान सिंह रघुवंशी का समरसॉल्ट एवं कार्ट व्हील प्रदर्शन, धान्या सिंह और सांभवी मिश्रा का बाल नृत्य, तथा दिव्यांशु का मूक अभिनय दर्शकों को अत्यन्त प्रभावित कर गया। इसी क्रम में जौनपुर एवं वाराणसी के बाल रंगकर्मियों द्वारा भारतीय इतिहास के प्रेरक प्रसंगों, मगध में चाणक्य–नीति, पन्ना धाय का बलिदान तथा अष्टावक्र की कथा आदि, का सशक्त मंचन किया गया। इस अवसर पर बच्चों और किशोरों के करियर निर्माण में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के योगदान विषय पर डॉ अपर्णा सिंह की अध्यक्षता में एक समसामयिक विमर्श भी आयोजित हुआ।
अशोका इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट की निदेशक डॉ सारिका श्रीवास्तव ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। उसे मानवीय चेतना, बुद्धिमत्ता और नैतिक विवेक के साथ अपनाने की जरूरत है। भदोही के वरिष्ठ कोषाधिकारी बृजेश सिंह ने बताया कि 14 से 22 वर्ष के युवाओं को करियर–निर्माण के लिए निरन्तर मार्गदर्शन और विशेष सहायता की आवश्यकता रहती है। इसके लिए भाषा, समाज, शिक्षा, साहित्य, कला संस्कृति के सरोकारों को समर्पित सामाजिक सांस्कृतिक संस्था नव भारत निर्माण समिति द्वारा ‘इन्हें पंख दें’ अभियान प्रारम्भ किया गया है।
दूसरे दिन का आकर्षण थर्ड–आई साइंस शो, तार्किक मैजिक शो, हमारी धरोहर’ विषयक बाल–नाट्य प्रस्तुतियां और अंतर्राष्ट्रीय फोटोग्राफर मनीष खत्री द्वारा दिया गया फोटोग्राफी प्रशिक्षण रहा। इन सभी सत्रों ने बच्चों में वैज्ञानिक जिज्ञासा, रचनात्मक कल्पनाशक्ति, मंचीय आत्मविश्वास और अभिव्यक्ति–कौशल को प्रेरित किया।
रविवार को आयोजित समापन समारोह में ओपन माइक – टैलेंट हंट शो आयोजित हुआ जिसमें विभिन्न आयु–समूहों के अनेक प्रतिभाशाली बच्चों की स्वैच्छिक प्रस्तुतियां दीं। समापन समारोह में बाल–युवा कवि सम्मेलन विशेष आकर्षण का केंद्र रहा।
काशी कुमारोत्सव की आयोजक डॉ अपर्णा सिंह ने बताया कि उनकी यह पहल बच्चों में संस्कार–संपन्न शिक्षा, स्वास्थ्य, कला और नवोन्मेष को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सतत् चल रही है।






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