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भारतीय मनोरंजन जगत के भविष्य में बड़ी छलांग है एवीजीसी-एक्सआर


डिजिटल नवोन्मेष, युवा प्रेरित मांग और रचनात्मक उद्यमिता के विस्फोट से सशक्त भारत का मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र देश के सबसे तेजी से बढ़ते उद्योगों में से एक के तौर पर उभरा है। इस क्षेत्र के लगभग सात प्रतिशत की चक्रवृद्धि सालाना दर से बढ़ते हुए 2027 तक 3067 अरब रुपये का हो जाने का अनुमान है।

राष्ट्रीय परिदृश्य के अनुसार 2030 तक यह उद्योग 100 अरब अमेरिकी डॉलर का हो जाएगा। इससे भारत के विषय वस्तु उपभोक्ता राष्ट्र से बौद्धिक संपदा के वैश्विक निर्माता और निर्यातक में निर्णायक बदलाव का संकेत मिलता है।

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मौजूदा पहलकदमियों का उद्देश्य प्रशिक्षण में निवेश, डिजिटल अवसंरचना और नवोन्मेष आधारित संस्थानों के माध्यम से एनिमेशन, दृश्य प्रभाव, गेमिंग और विस्तारित रियलटी यानी एवीजीसी-एक्सआर में स्वदेशी क्षमता को मजबूत करना है। सभी क्षेत्रों और भाषाई सीमाओं की समावेशी भागीदारी इस नीति की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। इसके जरिए सुनिश्चित किया जा रहा है कि रचनात्मक अवसरों का महानगरीय समूहों से आगे उभरती सांस्कृतिक अर्थव्यवस्थाओं में भी विस्तार हो।

आर्थिक तौर पर मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र मूल्य संवर्द्धन और रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण योगदान करता है। उसका सकल मूल्य संवर्द्धित हिस्सा पिछले दशक से लगातार बढ़ रहा है। भारत एनिमेशन और वीएफएक्स सेवाओं में 40 से 60 प्रतिशत तक किफायत प्रदान करता है। उसके पास एक बड़ा और कुशल कार्यबल भी है। इस तुलनात्मक लाभ की वजह से अंतरराष्ट्रीय परियोजनाएं भारत की ओर लगातार आकर्षित हो रही हैं। परिणामस्वरूप भारत को वैश्विक निर्माण पश्चात कार्यों के लिए तरजीह मिल रही है।

इस क्षेत्र का बढ़ता वैश्विक प्रभाव डिजिटल मीडिया में भी दिखाई देता है। भारतीय ओटीटी विषय वस्तु की कुल दर्शक संख्या का लगभग 25 प्रतिशत हिस्सा विदेशी दर्शकों का है। इससे भारतीय रचनात्मक विषय वस्तु के वाणिज्यिक आकर्षण के साथ ही सांस्कृतिक कूटनीति में इसकी बढ़ती भूमिका का भी संकेत मिलता है। भारतीय कहानियां विभिन्न महाद्वीपों में भावनात्मक और सांस्कृतिक संबंध कायम कर रही हैं।

इस रचनात्मक पुनरुत्थान की सबसे गतिशील अभिव्यक्ति एवीजीसी-एक्सआर क्षेत्र में मिलती है। इस क्षेत्र में प्रौद्योगिकी, कहानी कला और नवोन्मेष मिल कर भारतीय मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र के विकास के अगले अध्याय को परिभाषित कर रहे हैं। यहां भारत की रचनात्मक महत्वाकांक्षा और डिजिटल क्षमता के मिलन से दर्शकों के वास्ते कथा वस्तु निर्माण से विश्व के लिए अनुभव को आकार देने की ओर परिवर्तन का पता चलता है।

एनिमेशन, दृश्य प्रभाव, गेमिंग, कॉमिक्स और विस्तारित रियलटी क्षेत्र को विकास के मुख्य वाहक के रूप में औपचारिक मान्यता मिलने के साथ ही भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था एक परिवर्तनकारी चरण में प्रवेश कर गई है। वर्ष 2022 में एवीजीसी प्रोत्साहन कार्य बल के गठन के साथ ही नीतिगत यात्रा को रफ्तार मिल गई।

इस कार्य बल के गठन का उद्देश्य भारत के एवीजीसी-एक्सआर परिवेश को रचनात्मक प्रौद्योगिकी और डिजिटल कथावस्तु निर्माण के वैश्विक केंद्र के तौर पर पोषित करने के लिए एक विस्तृत राष्ट्रीय रणनीति तैयार करना था। इस कार्य बल ने ‘भारत में निर्माण’ पर केंद्रित राष्ट्रीय एवीजीसी-एक्सआर मिशन शुरू करने की सिफारिश की। इसका उद्देश्य देश को डिजिटल कथावस्तु सृजन और रचनात्मकता के वैश्चिक केंद्र के रूप में स्थापित करना था। एवीजीसी संवर्द्धन कार्य बल की रिपोर्ट में इस क्षेत्र में अगले दस वर्षों में लगभग 20 लाख प्रत्यक्ष और परोक्ष रोजगार पैदा होने का अनुमान व्यक्त किया गया। रिपोर्ट में यह भी अनुमान लगाया गया कि यह क्षेत्र निर्माण, निर्यात और संबंधित सेवाओं के जरिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान कर सकता है।

भारत की एवीजीसी-एक्सआर यात्रा की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि प्रतिभा और नवोन्मेष के पोषण के लिए समर्पित एक संस्थागत ढांचे का निर्माण है। एवीजीसी-एक्सआर के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र को सरकार ने 2024 को मंजूरी दी। इसे एनिमेशन, दृश्य प्रभाव, गेमिंग और इमर्सिव मीडिया में प्रशिक्षण, अनुसंधान और औद्योगिक सहयोग की शीर्ष संस्था के रूप में स्थापित किया गया है।

साल 2024 में एवीजीसी-एक्सआर के लिए राष्ट्रीय उत्कृष्टता केंद्र के रूप में भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान का मुंबई में उद्घाटन किया गया। भारतीय कंपनी कानून की धारा 8 के अंतर्गत गठित यह संस्थान आर्थिक लाभ के लिए नहीं बनाया गया है। यह अपने संसाधनों का संस्था के विकास के लिए पुनर्निवेश करता है। यह संस्थान शिक्षा जगत, उद्योग और सरकार को एक मंच पर लाने का काम करता है। आईआईसीटी आधुनिक पाठ्यक्रम के विकास तथा साझा अनुसंधान और वैश्विक उद्योग संपर्क को बढ़ावा देकर रचनाकारों और नवोन्मेषकों की एक नई पीढ़ी को आकार दे रहा है। इस तरह यह भारत को वैश्विक रचनात्मक अर्थव्यवस्था में नेतृत्वकारी स्थिति प्रदान कर रहा है।

कई राज्य राष्ट्रीय पहलों के पूरक के रूप में लक्षित नीतियों और संस्थागत ढांचों के माध्यम से एवीजीसी-एक्सआर दृष्टिकोण को आगे बढ़ा रहे हैं। कर्नाटक कौशल विकास, इनक्यूबेशन और वैश्विक बाज़ार प्रतिस्पर्धा पर केंद्रित एक समर्पित एवीजीसी-एक्सआर नीति 2024-2029 को लागू करने वाला पहला राज्य है। महाराष्ट्र ने भी इस वर्ष सितंबर में अपनी एवीजीसी-एक्सआर नीति 2025 को मंजूरी दे दी है। इसके लिए 3,268 करोड़ रुपये की वित्तीय योजना और 2050 तक विस्तारित दीर्घकालिक रोडमैप रखा गया है। नीति का उद्देश्य निवेश आकर्षित करना, रोजगार के अवसर पैदा करना और समर्पित समूहों और प्रशिक्षणों के माध्यम से राज्य-स्तरीय निर्माण के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाना है।

इस क्षेत्र में भारत का फिल्म तकनीक के क्षेत्र में किया गया विकास, प्रयोग से उत्कृष्टता की ओर एक दशक लंबी प्रगति को दर्शाता है। रा.वन (2011), बाहुबली : द बिगिनिंग (2015), और ब्रह्मास्त्र (2022) जैसी फिल्मों में मोशन कैप्चर और कंप्यूटर-जनरेटेड इमेजरी के इस्तेमाल ने उच्च-स्तरीय प्रोडक्शन में शुरुआती घरेलू क्षमता का प्रदर्शन किया।

तब से, भारतीय स्टूडियो तेज़ी से आगे बढ़े हैं और फिल्म निर्माण में इमर्सिव स्टोरीटेलिंग अनुभव प्रदान करने के लिए वास्तविक समय में प्रस्तुत करने, वॉल्यूमेट्रिक कैप्चर और वर्चुअल-प्रोडक्शन के तरीकों को अपनाया गया है। इस बढ़ती तकनीकी परिपक्वता से वैश्विक पोस्ट-प्रोडक्शन और वीएफएक्स बाज़ारों में भारत की प्रतिस्पर्धिता मज़बूत हुई है। उन्नत रचनात्मक कार्यों को भारतीय प्रतिष्ठानों को आउटसोर्स करने वाले अंतर्राष्ट्रीय स्टूडियो की संख्या बढ़ रही है।

मीडिया और मनोरंजन कौशल परिषद के नेतृत्व में की गई पहल के माध्यम से, पेशेवरों को एनीमेशन, वीएफएक्स, गेमिंग और पोस्ट-प्रोडक्शन जैसे विशिष्ट विषयों में प्रशिक्षित किया जा रहा है। उद्योग-अकादमिक सहयोग से ऐसे योग्यता मानकों और मॉड्यूलर पाठ्यक्रमों का विकास हुआ है जो अंतर्राष्ट्रीय मानदंडों पर खरे उतरते हैं।

दृश्य प्रभावों और एनीमेशन में भारत की बढ़ती महारत ने इसे दुनिया के सबसे पसंदीदा रचनात्मक स्थलों में से एक बना दिया है। देश के स्टूडियो अब बड़े पैमाने पर घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय प्रस्तुतियों का अभिन्न अंग बन गए हैं और वैश्विक मनोरंजन के क्षेत्र में कुछ सबसे जटिल दृश्य परियोजनाओं में अपना योगदान दे रहे हैं। यह विकास  सेवा-आधारित आउटसोर्सिंग से उच्च-मूल्य रचनात्मक सहयोग की ओर इस क्षेत्र के बदलाव को दर्शाता है जहां भारतीय प्रतिभा को वैश्विक मानकों के अनुरूप नवोन्मेष, सटीकता और कहानी कहने की कला को बढ़ावा मिलता है।

फिल्म ‘आरआरआर’ में 2,800 से ज़्यादा वीएफएक्स शॉट्स शामिल हैं। सभी जानवरों के दृश्यों को रेडियो-नियंत्रित कारों का उपयोग करके सिंक्रोनाइज़ किया गया था, जिन्हें विशिष्ट गति पर चलने के लिए प्रोग्राम किया गया था, जो भारत के वीएफएक्स कार्य प्रवाह की उच्च परिष्कृतता को दर्शाता है।

‘थॉर : द डार्क वर्ल्ड’ में वीएफएक्स का काम आंशिक रूप से मुंबई स्थित एक स्टूडियो द्वारा किया गया था, जो अंतर्राष्ट्रीय निर्माणों में भारत की बढ़ती भागीदारी को दर्शाता है। ‘गेम ऑफ थ्रोन्स’ में विशिष्ट किस्म के ड्रेगन भारत में एनिमेटेड किए गए, जिससे उच्च-स्तरीय एनीमेशन और डिजाइन में भारत की बढ़ती तकनीकी विश्वसनीयता उजागर हुई। ‘अवतार’ के लिए 200 से अधिक वीएफएक्स शॉट्स एक भारतीय कंपनी द्वारा लिए गए जो शीर्ष-स्तरीय वैश्विक निर्माणों में भारत के सहयोग को दर्शाता है।

गेमिंग, एक्सआर और इमर्सिव स्टोरीटेलिंग में स्टार्ट-अप का उदय स्वदेशी नवोन्मेष की ओर एक बड़े बदलाव का प्रतीक है। भारतीय स्टूडियो अब स्थानीय कथाओं, पौराणिक कथाओं और ऐतिहासिक धरोहर पर आधारित मोबाइल और कंसोल गेम विकसित कर रहे हैं। इससे सेवा-आधारित कार्य से मौलिक सामग्री निर्माण की ओर एक बदलाव का पता चलता है।

स्वतंत्र डेवलपर्स ने सांस्कृतिक रूप से प्रासंगिक शीर्षक, जैसे ‘राजी : एन एंशिएंट एपिक’ और ‘इंडस बैटल रॉयल’, प्रस्तुत किए हैं। इन्होने अपने डिज़ाइन और कहानी कहने की गहराई के लिए दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। ये कार्य निवेशकों की बढ़ती रुचि को भी आकर्षित कर रहे हैं जो भारत की रचनात्मक-तकनीकी क्षमता और मेटावर्स अर्थव्यवस्था के लिए इसकी तत्परता में बढ़ते विश्वास का संकेत है।

भारत का गेमिंग उद्योग, बैटलग्राउंड्स मोबाइल इंडिया और फियरलेस एंड यूनाइटेड गार्ड्स जैसे शीर्षकों द्वारा संचालित, उभरते हुए घरेलू गेमिंग इकोसिस्टम और स्थानीय आईपी निर्माण का प्रतिनिधित्व करता है।

भारतीय कॉमिक्स उद्योग सुप्पंडी, चाचा चौधरी, तेनाली रमन और शिकारी शंभू जैसे प्रतिष्ठित पात्रों के साथ फल-फूल रहा है। इनमें से कई पात्रों को एनिमेटेड श्रृंखला और फिल्मों में रूपांतरित किया जा रहा है जो पारंपरिक तरीकों से कहानी कहने और नए मीडिया प्लेटफार्मों के बीच के तालमेल का संकेत देता  है।

समर्पित एवीजीसी केंद्रों के निर्माण और भारतीय रचनात्मक प्रौद्योगिकी संस्थान की स्थापना ने दीर्घकालिक शैक्षणिक विषय और उद्योग जगत के सहयोग को संभव बनाया है। ये केंद्र डिजिटल रचनाकारों के लिए उद्भव स्थल के रूप में काम करते हैं जहां विशेष पाठ्यक्रम और सहयोगात्मक स्थान और वातावरण उपलब्ध हैं, जो छात्रों को प्रोडक्शन स्टूडियो और प्रौद्योगिकी कंपनियों से जोड़ते हैं। राज्य स्तर पर भी कई पहलें की गई हैं, जो एनीमेशन और गेमिंग के लिए क्षेत्रीय समूहों को बढ़ावा दे रही हैं, जिससे रचनात्मक अवसरों को  महानगरीय केंद्रों से आगे बढ़ने की संभावनाएं बन सकें।

भारत के रचनात्मक तकनीकी बुनियादी ढांचे को और मज़बूत करते हुए, वेवएक्स मीडिया-टेक स्टार्टअप एक्सेलरेटर ने एवीजीसी-एक्सआर परिवेश के लिए हैदराबाद स्थित टी-हब के साथ साझेदारी की है। इस साझेदारी के तहत एक समर्पित नवोन्मेष केंद्र स्थापित किया जायेगा। यह सहयोग मीडिया-टेक स्टार्टअप को बढ़ावा देने, मार्गदर्शन, वित्तपोषण और बुनियादी ढांचे तक पहुंच को सुगम बनाने और रचनात्मक पेशेवरों और तकनीकी उद्यमों के बीच सेतु निर्माण पर केंद्रित होगा।

भारत का एवीजीसी-एक्सआर क्षेत्र नवोन्मेष, कौशल विकास और नीतिगत संमिलन द्वारा रणनीतिक विकास के चरण में प्रवेश कर रहा है। आगे का ध्यान रचनात्मक अर्थव्यवस्था को एक वैश्विक महाशक्ति में बदलने पर रहेगा जो स्वदेशी प्रतिभा, तकनीकी प्रगति और रचनात्मक उद्यमिता द्वारा संचालित होगा।



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