Latest News: UPSC releases final result of Indian Economic Service / Indian Statistical Service Examination-2025 * IndiaSkills 2025 registration kicks off, Search for Nation’s Top Talent begins * UPSC announces final results of Combined Section Officers’ (Grade ‘B’) Limited Departmental Competitive Examination-2024

भारत में शिक्षा का संकट, सर्वे ने उजागर की चिंताजनक खामियां

 

गांव के बुजुर्ग राम नाथ, रिटायर्ड मास्साब कहते हैं, "क्लासरूम में दीवारें हैं, पर दिशा नहीं। ब्लैकबोर्ड है, पर बुनियादी समझ नदारद। भारत की प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था गहरे संकट में है। हर साल करोड़ों बच्चे स्कूल तो जाते हैं, पर सीखते क्या हैं — यह एक राष्ट्रीय आपदा से कम नहीं!"

तमाम रिपोर्ट बार-बार चीख-चीख कर कह रही है कि आठवीं क्लास के बच्चे तीसरी की किताब भी नहीं पढ़ पाते। सरकारी स्कूलों में शिक्षक तो हैं, पर पढ़ाने की लगन नहीं। निजी स्कूलों में फीस है, लेकिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का घोर अभाव। पाठ्यक्रम रटंत विद्या को बढ़ावा देते हैं, सोचने-समझने की क्षमता को कुचलते हैं।

Read in English: Alarm bells ring for India’s primary and secondary schooling

प्रो. पारस नाथ चौधरी कहते हैं कि बुनियादी गणित और भाषा कौशल की भारी कमी से ये पीढ़ी एक ऐसे भविष्य की ओर बढ़ रही है जहां न नौकरी मिलेगी, न समझदारी से फैसले लेने की योग्यता। यह सिर्फ शिक्षा का नहीं, देश की आत्मा का संकट है। अगर अब नहीं जागे, तो एक ‘डिग्रीधारी परंतु दिशाहीन भारत’ तैयार हो रहा है — और यह त्रासदी किसी महामारी से कम नहीं होगी।

हाल ही में, शिक्षा मंत्रालय के तहत एनसीईआरटी द्वारा आयोजित परख राष्ट्रीय सर्वेक्षण 2024 ने भारत की स्कूली शिक्षा व्यवस्था की गंभीर स्थिति को उजागर किया है। इस सर्वे में 781 जिलों के 74,229 स्कूलों में तीसरी, छठी और नौवीं कक्षा के 21.15 लाख से अधिक छात्रों का मूल्यांकन किया गया। नतीजे बताते हैं कि बुनियादी साक्षरता, गणित और तार्किक सोच में छात्रों की कमी चिंता का सबब है।

परख सर्वे, जो राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के तहत है, ने भाषा, गणित, पर्यावरण अध्ययन (तीसरी और छठी कक्षा) और विज्ञान व सामाजिक विज्ञान (नौवीं कक्षा) में छात्रों का आंकलन किया। नतीजों से पता चलता है कि जैसे-जैसे छात्र ऊपरी कक्षाओं में जाते हैं, उनकी योग्यता कम होती जाती है। गणित सबसे कमजोर विषय रहा। तीसरी कक्षा में केवल 55 फीसदी छात्र 99 तक की संख्याओं को क्रम में लगा पाते हैं, और 58 फीसदी ही दो अंकों की जोड़-घटाव कर पाते हैं। छठी कक्षा में सिर्फ 53 फीसदी छात्र 10 तक का पहाड़ा जानते हैं, और केवल 29 फीसदी साधारण भिन्नों को समझ पाते हैं। नौवीं कक्षा में हालात और खराब हैं, जहां गणित में राष्ट्रीय औसत स्कोर 37 फीसदी है, और 63 फीसदी छात्र भिन्न और पूर्णांक जैसे बुनियादी अवधारणाओं को नहीं समझ पाते हैं।

भाषा में भी स्थिति बहुत बेहतर नहीं है। छठी कक्षा में 43 फीसदी छात्र पाठ की मुख्य बातें समझने या निष्कर्ष निकालने में असमर्थ हैं। नौवीं कक्षा में विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में स्कोर 40 फीसदी के आसपास है, जिसमें छात्र बिजली, ज्यामिति और वैज्ञानिक तर्क जैसी चीजों को समझने में कमजोर दिखे। ये कमियां बताती हैं कि शुरुआती कक्षाओं में बुनियादी कौशल मजबूत नहीं हो पा रहे, जो बाद में और बिगड़ता है।

सर्वे में असमानताएं भी सामने आईं। तीसरी कक्षा में ग्रामीण छात्र शहरियों से भाषा और गणित में बेहतर प्रदर्शन करते हैं, शायद निपुण भारत मिशन जैसे प्रयासों के कारण। लेकिन, छठी और नौवीं कक्षा में शहरी छात्र ग्रामीणों से आगे निकल जाते हैं। लिंग के आधार पर अंतर कम है, लेकिन लड़कियां भाषा में थोड़ा बेहतर (तीसरी कक्षा में 65 फीसदी बनाम 63 फीसदी) हैं, जबकि गणित में दोनों बराबर हैं। केंद्रीय स्कूल, जैसे केंद्रीय विद्यालय, नौवीं कक्षा में भाषा में बेहतर हैं, लेकिन तीसरी कक्षा में गणित में पीछे हैं। सरकारी स्कूल शुरुआती कक्षाओं में अच्छे हैं, जबकि निजी स्कूल विज्ञान और सामाजिक विज्ञान में बेहतर हैं, लेकिन गणित में कमजोर हैं।

पंजाब, केरल, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और दादरा व नगर हवेली जैसे राज्य शीर्ष पर हैं, जबकि झारखंड, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के जिले सबसे नीचे हैं। ये अंतर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और शिक्षक प्रशिक्षण की कमी को दर्शाते हैं।

शिक्षाविदों ने एनईपी के अनुरूप नई शिक्षण विधियों और डिजिटल लर्निंग पर जोर दिया है। भारत अगर डेटा-आधारित शिक्षा सुधार चाहता है, तो परख सर्वे एक बड़ा अलार्म है। यह न केवल नीतिगत सुधारों की मांग करता है, बल्कि परीक्षा-केंद्रित शिक्षा के बजाय समग्र सीखने की संस्कृति की जरूरत को रेखांकित करता है। तत्काल हस्तक्षेप के बिना, समान और योग्यता-आधारित शिक्षा का सपना अधूरा रहेगा।


Related Items

  1. देव ने 99.2 फीसदी अंक प्राप्त कर स्कूल किया टॉप

  1. शिक्षा में अमीरी-गरीबी का अंतर भविष्य के लिए है खतरा

  1. नया शैक्षणिक सत्र शुरू होते ही प्राइवेट स्कूलों का सालाना ‘लूट उत्सव’ शुरू