स्वच्छ भारत मिशन की पिछले नौ वर्षों में सफलता के परिणामस्वरूप आज स्वच्छता को एक उत्सव की तरह मनाया जा रहा है। भारत को कचरा मुक्त बनाने के इस उत्सव में समाज के सभी वर्गों से आने वाले नागरिक शामिल हो रहे हैं।
‘स्वच्छता पखवाड़ा-स्वच्छता ही सेवा’ की शुरुआत ने सफाई को लेकर देश में एक आंदोलन का रूप ले लिया है। इस आंदोलन में बच्चों के साथ-साथ बड़े भी बड़ी संख्या में शामिल हो रहे हैं। तमिलनाडु में स्वच्छता ही सेवा अभियान छात्रों द्वारा प्रतिदिन की जाने वाली गतिविधियों के साथ निर्धारित है। इस अभियान में स्कूल और कॉलेज के छात्रों को बड़े पैमाने पर शामिल करके स्वच्छता क्रांति को बढ़ावा दिया जा रहा है।
स्वच्छता पखवाड़ा के तहत, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, एकल उपयोग प्लास्टिक के खतरों पर जागरूकता फैलाने के लिए कई प्रमुख गतिविधियां और छोटे अभियान आयोजित किए गए। साथ ही, राज्यभर के सभी शहरी स्थानीय निकाय के स्कूल और कॉलेजों में स्वच्छता अभियान चलाया गया। विभिन्न संस्थानों में आयोजित ‘स्वच्छता ही सेवा’ गतिविधियों में एक लाख से अधिक छात्रों को भाग लेते देखना एक सुखद अनुभव था।
सामान्य जागरूकता और स्वच्छता अभियानों के अलावा, कई निकायों ने एमसीसी, एमआरएफ, जैविक सीएनजी संयंत्र और जैविक खनन स्थलों जैसे ठोस अपशिष्ट प्रबंधन संयंत्रों को नजदीक से जानने-समझने के लिए छात्रों के लिए भ्रमण की भी व्यवस्था की गई। इसके अलावा, स्कूलों ने कचरे से अचरजभरी गतिविधियों पर आधारित प्रतियोगिताएं आयोजित कीं। इनमें कई छात्रों ने कचरे से संपत्ति बनाने वाली कलाकृतियां तैयार कीं और प्रदर्शनी में पेश कीं।
छात्रों को गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करने के बारे में भी बताया गया। सभी स्कूलों में गीले कचरे का प्रबंधन करने के लिए ऑनसाइट कंपोस्टिंग भी शुरू की गई और छात्रों को घरेलू कंपोस्टिंग शुरू करने की सरल तकनीकें सिखाई गईं। अभियान के दौरान रैलियां, मैराथन, साइक्लोथॉन आदि भी आयोजित किए गए। एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध और प्लास्टिक के विकल्पों के बारे में जानकारी भी छात्रों को दी गई। कुछ स्कूलों में कपड़े के थैले भी वितरित किए गए और उनके बीच कचरा स्रोत पृथक्करण और घरेलू खाद बनाने की तकनीक पर पर्चे वितरित किए गए।
Related Items
भारत में शिक्षा का संकट, सर्वे ने उजागर की चिंताजनक खामियां
'परंपरा' से 'परिवर्तन' के दौर में है भारत की उच्च शिक्षा
क्यों भारत छोड़कर विदेशों में बसना चाहते हैं हमारे युवा?