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नई भू-स्थानिक डाटा नीति से बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

नए भू-स्थानिक आंकड़ों और मानचित्र नियमों से संबंधित जियो स्पैटियल दिशा-निर्देशों को विशेक्षज्ञों द्वारा रोजगार के एक नए अवसर के रूप में देखा जा रहा है।

माना जा रहा है कि इन दिशा-निर्देशों से न केवल डिजिटल इंडिया मिशन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि यह सुधार देश के स्टार्ट अप्स, निजी तथा सार्वजनिक क्षेत्र और अनुसंधान संस्थानों के लिए नवाचार तथा श्रेष्ठ समाधान उपलब्ध कराने के अवसर भी खुलेंगे। इससे रोजगार मिलेंगे और देश की आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा भी मिलेगा।

अब तक, मैपिंग एक सरकारी संरक्षण था, जिसे इसके सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा नियंत्रित किया जाता था। इसके अलावा, व्यक्तियों और कंपनियों को भू-स्थानिक सूचना विनियमन अधिनियम, 2016 के तहत मानचित्रण डेटा के उपयोग के लिए अनुमोदन की आवश्यकता है। लेकिन, अब आगे, कई दूसरी फर्म भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके भारतीय क्षेत्र के नक्शे में डेटा सहित, संग्रह, उत्पन्न, प्रसार, स्टोर, शेयर, वितरण और निर्माण कर सकते हैं। लेकिन, मानचित्रण के लिए अभी भी कुछ प्रतिबंध हैं। संवेदनशील और प्रतिबंधित क्षेत्रों को विनियमित किया जाता रहेगा।

नए दिशा-निर्देशों से कृषि, वित्त, निर्माण, खनन और स्थानीय उद्यम, किसान व छोटे व्यवसायों को लाभ मिलेगा। विशेष रूप से डिजिटल इंडिया, स्मार्ट सिटीज, ई-कामर्स, ऑटोनॉमस ड्रोन, डिलीवरी, लॉजिस्टिक्स और अर्बन ट्रांसपोर्ट जैसी जीवंत तकनीकों पर ज्यादा ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा।

विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के अंदर मैपिंग और सर्वे बहुत सालों से चल रहे हैं, लेकिन उनमें बहुत सारे प्रतिबंध थे। इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट, सेवाओं, प्लानिंग व गुड गवर्नेंस आदि में सर्वेइंग और मैपिंग की आवश्यका होती है। अब तक इनमें कई सारी शर्तें थीं, अब अनुचित शर्तों को हटा दिया गया है। उदाहरण के लिए स्वामित्व स्कीम के तहत संपत्ति का ब्योरा कई बार रिकॉर्ड में नहीं होने के कारण या भूमिखंड के स्वामी के पास पर्याप्त कागजात नहीं होने के चलते वे जालसाजी का शिकार हो जाते हैं। लेकिन, भविष्य में एक-एक भूमिखंड को अगर उसके स्वामी के साथ मैप कर दिया जाए तो उसका एक बड़ा प्रभाव पड़ेगा।

कृषि व इंफ्रास्ट्रक्चर आदि क्षेत्रों में भी एक्युरेट मैपिंग जरूरी होती है और आने वाले समय में इस फैसले से इन दोनों के साथ-साथ कई और सेक्टर को भी फायदा होगा। पूर्व में, जब एक बार नक्शा बन जाता था और वर्षों तक उसी का प्रयोग किया जाता था, अब इसके लिए रियलटाइम डाटा मुहैया कराया जा सकेगा। इसका फायदा स्मार्ट सिटी बनाने, रक्षा क्षेत्र, तेल व खनन, आदि में भी बहुत अधिक मिलेगा।

पूर्व सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया डॉ. पृथ्वीश नाग का कहना है कि यह सरकार का बहुत महत्वपूर्ण कदम है। अब रियल टाइम मैपिंग देश की अर्थव्यवस्था के साथ जुड़ गई है। पहले जो गांव में बैंक होते थे, उनमें जमा पैसा शहरों के विकास पर खर्च होता था, अब लैंड सर्टिफिकेट के आधार पर रिवर्स फ्लो होगा। शहर का पैसा गांव में पहुंचेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ होगा। वहीं, शहर में हाईराइज बिल्डिंग में थ्री डाइमेंशनल डाटा चाहिए, उसमें इससे बड़ी मदद मिलेगी।

इसके साथ ही, अभी तक जियोस्पेटियल डाटा पर पढ़ाई करने वाले छात्र जब नौकरी के लिए निकलते थे, तो उनके लिए स्कोप बहुत कम होता था। क्योंकि, इतनी ज्यादा शर्तें थीं कि इस क्षेत्र को विस्तार देना लगभग असंभव था। अब शर्तों को सरल कर इस क्षेत्र को सुगम बनाया गया है। इससे इस क्षेत्र में पढ़ाई करने वाले छात्रों के लिए नौकरियों के अवसर तेजी से खुलेंगे। इसके अलावा, जियो मैपिंग के आधार पर निर्णय लेने वाली कंपनियों व संस्थानों में इस क्षेत्र में काम करने वालों की मांग बढ़ेगी। डाटा साइंस में भी और नए अवसर खुलेंगे।


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