जबसे स्कूलों में बच्चों की पिटाई बंद करने का फरमान जारी हुआ है, तबसे मास्साब का रुतबा और खौफ उड़नछू हो गया है। घर में पेरेंट्स परेशान, स्कूलों में अध्यापक, अनुशासन, शिष्टाचार, अदब कायदे सब पश्चिमी सोच की लहर में बह गए हैं। भय बिन प्रीत या सम्मान कब, कहां किसको मिलता है। राऊडी स्टूडेंट्स को पनिशमेंट मिलना ही चाहिए, कैसा और कितना, इस पर बहस हो सकती है...
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